देश में आयुष्मान भारत योजना को लेकर निजी अस्पतालों और सरकार के बीच खींचतान तेज हो गई है। सात अगस्त से निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के मरीजों का इलाज बंद कर दिया है, जिससे हजारों लाभार्थी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि लंबे समय से उनकी करोड़ों रुपये की भुगतान राशि अटकी हुई है, ऐसे में बिना फंड मिले इलाज जारी रखना संभव नहीं है।
इसी बीच स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। यमुनानगर और अंबाला में बुधवार को कई अस्पतालों की गहन जांच की गई। यमुनानगर में तो छापेमारी के दौरान महिला डॉक्टर और मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार का आरोप भी सामने आया, जिससे मामला और गरमा गया।
गुरुवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के आह्वान पर यमुनानगर के निजी अस्पतालों ने हड़ताल का एलान कर दिया। सभी डॉक्टर सुबह काली पट्टी बांधकर एसपी कमलदीप गोयल से मिले और उसके बाद डीसी पार्थ गुप्ता को ज्ञापन सौंपकर छापेमारी दल पर कार्रवाई की मांग की। हड़ताल के कारण ओपीडी में मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा।
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अंबाला के बवेजा अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने करीब आठ घंटे तक जांच की, मगर अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि वहां कोई गड़बड़ी पाई गई या सब कुछ नियमों के अनुरूप था।
वहीं कैथल में निजी अस्पतालों की हड़ताल का सीधा असर सरकारी अस्पतालों पर दिख रहा है। यहां मरीजों की भीड़ कई गुना बढ़ गई है। जिले के 11 निजी अस्पताल आयुष्मान योजना से जुड़े हुए हैं और करीब 15 करोड़ रुपये की राशि सरकार से बकाया बताई जा रही है।